Thursday, February 3, 2011

दीवार पर हवाई जहाज आज भी बनता है

याद करो बचपन का वो ज़माना, जब सर्दियों में रात को बिस्तर पर लेटे हुए छत और दीवारों पर नज़र पड़ती थी। कमरे की वो दीवारें जिन पर अजीब सी आकृतियां नज़र आती थीं। कभी हाथी, कभी घोड़ा, कभी अपने देश का नक्शा तो कभी उड़ता हुआ हवाई जहाज। हां...हवाई जहाज। और ऐसी ना जाने कितनी आकृतियां हमें कमरे की उन दीवारों पर नज़र आती थीं। वह दीवारें जिनसे पुताई की पपड़ियां छूट रही होती थीं। वह दीवारें जिन पर बारिश के पानी की सीलन आती थी। मेरे घर के वो कमरे आज भी वही हैं। कुछ कमरे और बन गए हैं। बारिश के बाद दीवार पर सीलन आज भी रहती है। पपड़ी आज भी छुटती है। और...हां...हवाई जहाज आज भी बनता है।

समय अपने बदलने का अहसास करा चुका है। समय के साथ हवाई जहाज की भी स्पीड बढ़ चुकी है। वह हवाई जहाज मेरे घर से करीब एक हजार किलोमीटर की दूरी तय कर अब इंदौर में आ गया है। यहां मेरे कमरे की दीवारों पर ना तो सीलन है और ना ही उनसे छुटती पपड़ी। लेकिन वो हवाई जहाज...हां वही... मेरे घर वाला, आज भी कभी-कभी दीवारों पर नज़र आ जाता है। अब यह कुछ शोर करने लगा है। वापस उसी दीवार पर जाना चाहता है। वह दीवार जो मेरे घर पर है। वह दीवार जो इसका एअरपोर्ट है। और मेरी नज़रें इसका ईंधन। अब इसे कौन समझाए कि समय बहुत आगे निकल चुका है। हां, इतना आगे कि इस जहाज को वापस एअरपोर्ट पर पहुंचना नामुमकिन है।

हवाई जहाज के साथ में दीवारों पर हाथी-घोड़े को भी तलाश करता हूं। ये अब दिखाई नहीं देते। लगता है इन्होंने साथ छोड़ दिया है। और हो भी क्यों ना...आखिर जिंदगी में साथ होता ही किसका है। और यदि हो भी तो कितने दिन का???? हां इतना ज़रूर है कि यह हवाई जहाज मुझे मेरे घर की याद दिलाता है। अपने एअरपोर्ट की याद दिलाता है। और याद दिलाता है मेरा वो अतीत जिसे मैंने बहुत पीछे छोड़ दिया है। समय अपनी रफ़्तार को और अधिक बढ़ा चुका है। मैं इस हवाई जहाज से आगे निकलना चाहता हूं। इतना आगे कि इसकी परछाईं भी मुझे दिखाई ना दे। मैं अपने अतीत में ना पहुंच पाऊं। जैसे मुझे हाथी और घोड़ों ने छोड़ दिया ऐसे ही मैं अब इसे छोड़ना चाहता हूंमुझे अब मेरे सपनों के हवाई जहाज की ज़रुरत है। वह हवाई जहाज जिस पर मेरे सपनों के पंख लगे हुए हैं। मेरे वह सपने जो मेरा भविष्य हैं। वह भविष्य जो मेरा है

काफी रात हो चुकी है
। नींद मुझे अपने आगोश में ले रही है। कमरे की जलती हुई लाइट मुझे परेशान कर रही है। मच्छरों ने भी अपना म्यूजिक शुरू कर दिया है। ऐसे म्यूजिक जिसे मैं तो क्या आप भी सुनना पसंद नहीं करेंगेलेकिन सामने की दीवार पर वह हवाई जहाज मुझे अभी भी दिखाई दे रहा है। शोर करता हुआ। इन सबका एक ही समाधान है कि मैं नींद के आगोश में चला जाऊं। अगली सुबह एक नए जोश, नई उम्मीद और अपने सपने की ओर कदम बढ़ाने के लिए। मैं अब इस हवाई जहाज को आज की रात के लिए दूर कर रहा हूंहां...आज की रात के लिए, क्योंकि पता नहीं ये शायद कल रात फिर मेरे कमरे की दीवार पर फिर आ जाए

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